आज के दौर में हम जब विज्ञान की बात करते हैं तो अकसर पश्चिमी देशों की तरफ देखते हैं। लेकिन ये बात बहुत कम लोग जानते है कि कई Western scientists, जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में बड़े बड़े योगदान दिए, वो खुद सनातन धर्म और उसके मूल ग्रन्थ “वेदों” से प्रभावित थे।
और जिन्हें मेरी इस बात पर भरोसा नहीं है, वो इस ब्लॉग को पूरा अवश्य पढ़ें, ताकि उनके मन की सारी भ्रांतियां दूर हो जाएं।
Nuclear bomb को बनाने वाले oppenheimer से लेकर Mathematics के विद्वान — रामानुजन तक — सभी वेद और ईश्वर को मानते थे। जो नास्तिक लोग अक्सर Science और scientists के हवाले से ये बोलते रहते है कि Science और साइंस के विद्वान जब ईश्वर को नहीं मानते तो हम क्यों माने, उनके लिए भी ये ब्लॉग काफी informational होगा, क्योंकि उन्हें realise होगा कि जो दुनिया में आजतक सबसे बड़े scientists हुए है, वो खुद ईश्वर और उसकी वाणी वेद को मानते थे।
और इन Scientists ने वेद को सिर्फ धर्मग्रंथ नहीं बल्कि knowledge का एक श्रोत भी माना। जिस knowledge ने उनको अपने experiments में help भी की।
1. Werner Heisenberg (वर्नर हाइजेनबर्ग) – जर्मनी
आज की दुनिया में अगर क्वांटम फिजिक्स को समझने की बात हो, तो एक नाम सबसे ऊपर आता है – वर्नर हाइजेनबर्ग (Werner Heisenberg)। इन्हें क्वांटम फिजिक्स में अपने योगदान के लिए 1932 में Nobel prize भी मिला था।
लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह महान जर्मन वैज्ञानिक वेदों और उपनिषदों की teachings से काफी influenced थे।
उनके प्रमुख वैज्ञानिक योगदान:
1. Uncertainty Principle (अनिश्चितता सिद्धांत) – 1927
यह उनका सबसे बड़ा योगदान था। इसका अर्थ है:
> "किसी भी कण की स्थिति (position) और वेग (velocity) को एक साथ पूरी सटीकता के साथ नहीं मापा जा सकता।"
इस सिद्धांत ने क्लासिकल फिजिक्स की नींव हिला दी और क्वांटम मेकैनिक्स की नई दिशा तय की।
2. Matrix Mechanics
यह क्वांटम मैकेनिक्स को समझाने की पहली गणितीय तकनीक थी। इसे हाइजेनबर्ग ने 1925 में विकसित किया।
3. Nobel Prize in Physics – 1932
उन्हें क्वांटम फिजिक्स में उनके योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
हाइजेनबर्ग और वेद–सनातन धर्म से संबंध
जब हाइजेनबर्ग भारत आए, तो उनकी मुलाकात रवींद्रनाथ टैगोर, सी.वी. रमन और अन्य दार्शनिकों से हुई। उन्होंने भारतीय दर्शन, वेदांत और उपनिषद का गहन अध्ययन किया।
वेदांत से उनका पहला अनुभव:
हाइजेनबर्ग ने स्वयं कहा कि भारत में वेदांत पर चर्चा ने उनकी सोच बदल दी। क्वांटम थ्योरी, जो पहले उन्हें "पागलपन" जैसी लगती थी, अब धार्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से तार्किक लगने लगी।
> "After the conversations about Indian philosophy, some of the ideas of Quantum Physics that had seemed so crazy suddenly made much more sense."
(जब मैंने भारतीय दर्शन के बारे में चर्चा की, तब क्वांटम फिजिक्स के कई विचार जो पहले पागलपन जैसे लगते थे, अचानक समझ में आने लगे।)
> “Quantum theory will not look ridiculous to people who have read Vedanta.”
(जिन लोगों ने वेदांत को पढ़ा है, उनको क्वांटम थ्योरी कभी भी अजीबोगरीब नहीं लगेगी।)
भारत में उन्होंने महसूस किया कि सत्य एक ही है, लेकिन उसे जानने के तरीके भिन्न हो सकते हैं।
आत्मा और ब्रह्मांड में एकता की जो अवधारणा वेदों में है, वह क्वांटम फिजिक्स से जुड़ी हुई लगती है।
उन्हें सनातन धर्म की समावेशी सोच और "यथार्थ से परे यथार्थ" की अवधारणा ने अत्यंत प्रभावित किया।
हाइजेनबर्ग के वेदों और सनातन से जुड़े quotes—
1. आध्यात्मिक दृष्टिकोण:
> “What we observe is not nature itself, but nature exposed to our method of questioning.”
(हम जो देखते हैं, वह प्रकृति नहीं है, बल्कि हमारी प्रश्न पूछने की विधि के अनुसार प्रकृति का स्वरूप है।)
यह विचार उपनिषदों के ‘द्रष्टा और दृश्य’ सिद्धांत से गहराई से जुड़ा हुआ है।
2. विज्ञान और अध्यात्म में एकता:
हाइजेनबर्ग को यह समझ आने लगा था कि विज्ञान और भारतीय दर्शन, खासकर वेद, एक-दूसरे से विपरीत नहीं बल्कि पूरक हैं।
> "The smallest units of matter are not physical objects in the ordinary sense; they are forms, ideas which can be expressed unambiguously only in mathematical language."
(पदार्थ की सबसे छोटी इकाइयाँ वस्तुतः भौतिक नहीं होतीं, वे विचार होती हैं, जिन्हें केवल गणितीय भाषा में ही स्पष्ट रूप से व्यक्त किया जा सकता है।)
तो हाइजनबर्ग के इन quotes से आप easily ये समझ सकते हो कि वो वेद और सनातन के अन्य ग्रंथों से काफी प्रभावित थे।
2. Erwin Schrödinger (एरविन श्रोडिंजर) – ऑस्ट्रिया
नेक्स्ट हम बात करेंगे एर्विन श्रोडिंजर की, जो ऑस्ट्रिया के एक well known फिजिसिस्ट थे, और quantum physics में उन्होंने काफी extensive work किया था।
इन्हें भी अपने काम के लिए Nobel prize से नवाजा गया था।
श्रोडिंजर के वैज्ञानिक योगदान
1. Schrödinger’s Equation – 1926
यह एक differential equation है जो बताती है कि क्वांटम दुनिया में एक पार्टिकल कैसे behave करता है। इसे क्वांटम फिजिक्स की Backbone माना जाता है।
2. Schrödinger’s Cat thought experiment
यह एक कल्पनात्मक प्रयोग है जो यह दिखाता है कि क्वांटम स्तर पर कोई वस्तु एक साथ दो स्थितियों (alive and dead) में हो सकती है – जब तक कि हम उसे देख न लें। यह प्रयोग "observer effect" और "superposition" को समझाने के लिए इस्तेमाल होता है। क्वांटम दुनिया में वास्तविकता तब तक तय नहीं होती, जब तक कोई उसे देख न ले। यही observer effect है।
श्रोडिंजर और वेदांत दर्शन
श्रोडिंजर की सोच सिर्फ विज्ञान तक सीमित नहीं थी। वे उपनिषदों और वेदांत के बहुत बड़े प्रशंसक थे। उन्होंने इन ग्रंथों को पढ़ा, समझा और उनके विचारों को अपने वैज्ञानिक सोच में शामिल किया।
> उन्होंने खुद कहा था:
"The multiplicity is only apparent, in truth there is only one mind."
(विविधता केवल एक भ्रम है, वास्तव में केवल एक ही चेतना है।)
ये बात बिल्कुल "अद्वैत वेदांत" की तरह है, जहाँ कहा गया है कि सभी जीवों में एक ही ब्रह्म चेतना है।
एक और जगह उन्होंने लिखा:
> “Most of my ideas & theories are heavily influenced by Vedanta”
यहां पर तो Erwin ने ये खुद accept किया कि उनके सभी academic works में वेदों का बहुत बड़ा influence है।
उन्होंने (what is life) नाम से एक किताब भी लिखी थी, जिसमें उन्होंने कई वैदिक philosophies को detail में discuss किया था।
इसी बूक से उनका एक quote है -
> "The multiplicity is only apparent. This is the doctrine of the Upanishads. And not of the Upanishads only. The mystical experience of the union with God regularly leads to this view, unless strong prejudices stand in the West.”
श्रोडिंजर यहाँ ये कह रहे हैं कि उपनिषदों में जो सिखाया गया है — कि यह संसार एक ही परम चेतना (ब्रह्म) का विस्तार है और जो विविधता हम देख रहे हैं वो केवल बाहरी भ्रम है — वही अनुभव अनेक संत, योगी और आध्यात्मिक साधक भी करते हैं जब वो ईश्वर से गहरा संबंध अनुभव करते हैं।
लेकिन पश्चिमी सोच, जो अक्सर तर्क और भौतिकता पर आधारित होती है, ऐसे अद्वैत (non-duality) के विचारों को स्वीकार नहीं कर पाती।
3. Julius Robert Oppenheimer (जूलियस ओपेनहाइमर) – अमेरिका
जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर (1904–1967) एक अमेरिकी भौतिक वैज्ञानिक थे जिन्हें "Father of the Atomic Bomb" कहा जाता है। उन्होंने अमेरिका के मैनहैटन प्रोजेक्ट को lead किया, जिसके अंतर्गत पहला परमाणु (atom) बम develop किया गया था।
विज्ञान के क्षेत्र में इनके योगदान
Manhattan Project:
यह एक गुप्त वैज्ञानिक परियोजना थी जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शुरू किया गया।
इसका उद्देश्य था – परमाणु बम का निर्माण।
ओपेनहाइमर इस प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक निदेशक थे और उन्होंने न्यू मैक्सिको के लॉस आलामोस लैब में हजारों वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम किया।
Trinity Test – 16 जुलाई, 1945:
यह पहला परमाणु परीक्षण था, जिसे ओपेनहाइमर की निगरानी में सफलतापूर्वक किया गया।
ओपेनहाइमर और वेद-उपनिषद
ओपेनहाइमर एक महान वैज्ञानिक थे ये तो सब जानते है, लेकिन दुनिया को ये भी पता होना चाहिए कि वो भारतीय वेदांत दर्शन, भगवद गीता और उपनिषदों से भी बहुत ज्यादा प्रभावित थे। उन्होंने संस्कृत सीखी थी ताकि वो प्राचीन भारतीय ग्रंथों को मूल भाषा में पढ़ सकें।
ओपेनहाइमर ने कहा था कि:
> "Access to the Vedas is the greatest privilege this century may claim over all previous centuries."
(इस सदी की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि हमें वेदों तक पहुंच मिली है, जो पहले कभी इतनी सहज नहीं थी।)
ओपेनहाइमर, वेदों और उपनिषदों के साथ साथ गीता से भी काफी प्रभावित थे। जब Trinity टेस्ट के दौरान पहला परमाणु बम विस्फोट हुआ, तो ओपेनहाइमर ने उस दृश्य को देखकर भगवद गीता की एक प्रसिद्ध पंक्ति याद की:
> "Now I am become Death, the destroyer of worlds."
— Bhagavad Gita, Chapter 11, Verse 32
"अब मैं मृत्यु बन गया हूँ, संसारों का विनाशक।”
रॉबर्ट ओपेनहाइमर विज्ञान और दर्शन के संगम का जीता-जागता उदाहरण हैं। उन्होंने यह साबित किया कि एक वैज्ञानिक जितना तार्किक होता है, उतना ही वो दार्शनिक और आध्यात्मिक भी हो सकता है। उन्होंने माना कि हिंदू philosophies आत्मा, चेतना और ब्रह्मांड की गहराइयों तक पहुँचने की क्षमता रखती है — जिसे आधुनिक विज्ञान अब छूने की कोशिश कर रहा है।
उनके लिए उपनिषद सिर्फ धार्मिक ग्रंथ नहीं थे, बल्कि "Cosmic Understanding" का मार्ग थे।
4. Niels Bohr (नील्स बोहर) – डेनमार्क
नील्स बोहर (Niels Bohr) आधुनिक भौतिकी के महानतम वैज्ञानिकों में से एक थे। वे क्वांटम मैकेनिक्स और परमाणु संरचना (atomic structure) को समझने में क्रांतिकारी योगदान के लिए जाने जाते हैं। 1922 में उन्हें nobel prize भी मिला था।
उनके मुख्य वैज्ञानिक योगदान:
1. Bohr's Atomic Model (1913)
उन्होंने पहला मॉडल दिया जिसमें बताया कि इलेक्ट्रॉन परमाणु के चारों ओर निश्चित ऑर्बिट (orbits) में घूमते हैं।
2. Complementarity Principle
बोहर ने कहा कि किसी वस्तु को पूरी तरह समझने के लिए हमें उसे दो विरोधाभासी दृष्टिकोणों से देखना पड़ता है, जैसे:
प्रकाश एक साथ कण (particle) भी है और तरंग (wave) भी। उनकी यही सोच बाद में (quantum mechanics) का मूल आधार बनी।
वेदों से संबंध:
नील्स बोहर भारतीय दर्शन और विशेषकर वेदांत से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने क्वांटम फिजिक्स की कई पेचीदा चीज़ों को समझाने में हमारी वैदिक फिलॉसफी का सहारा लिया।
उनका एक छोटा सा quote इस बात को प्रूफ भी करता है। उन्होंने कहा था कि -
> "I go into the Upanishads to ask questions."
उन्होंने ये भी कहा था कि -
"For a parallel to the lessons of atomic theory, we must turn to those kinds of epistemological problems with which already thinkers like the Buddha and Lao Tzu have been confronted, and which are perhaps most clearly expressed in the Upanishads.”
बोहर का यहां कहना था कि जो विरोधाभासी चीजें हमें क्वांटम सिद्धांत में दिखती हैं (जैसे एक ही चीज़ तरंग और कण दोनों हो सकती है), वैसी ही सोच भारतीय उपनिषदों में पहले से मौजूद है। उन्होंने महसूस किया कि भारतीय दर्शन बाइनरी सोच (yes/no, सही/गलत) से आगे जाकर जटिलता और परस्पर विरोध को एक साथ समझने की क्षमता रखता है।
5. Carl Sagan (कार्ल सेगन) – अमेरिका
Carl Sagan (कार्ल सेगन) एक बहुत ही प्रसिद्ध अमेरिकी खगोलशास्त्री (astronomer), ब्रह्मांड वैज्ञानिक (cosmologist), विज्ञान लेखक और कम्युनिकेटर थे। उन्होंने वैज्ञानिक सोच को आम लोगों तक पहुँचाने में काफी काम किया। उनकी Cosmos नाम से एक बुक और TV series भी create की थी।
मुख्य वैज्ञानिक कार्य:
1. पृथ्वी से बाहर जीवन की संभावना (Extraterrestrial Life)
उन्होंने दूसरे ग्रहों पर जीवन के अस्तित्व की संभावना पर कई रिसर्च कीं और NASA के मिशनों में हिस्सा लिया।
2. वीनस और बृहस्पति ग्रह का अध्ययन
वीनस ग्रह का वातावरण और बृहस्पति के चंद्रमा पर जीवन की संभावना को लेकर कई विचार रखे।
3. "Cosmos" TV सीरीज़ (1980)
ये विज्ञान पर आधारित सबसे लोकप्रिय सीरीज़ों में से एक है। इससे उन्हें worldwide recognition मिला था।
वेद और सनातन धर्म पर कार्ल सेगन के विचार -
कार्ल सेगन भारतीय संस्कृति और वेदों से बेहद प्रभावित थे। उन्होंने कहा कि वेदों में ब्रह्मांड को जिस तरह से समझाया गया है, वह आधुनिक कॉस्मोलॉजी के बहुत करीब है।
सेगन का ये quote है -
> "The Hindu religion is the only one of the world’s great faiths dedicated to the idea that the Cosmos itself undergoes an immense, indeed an innate, number of deaths and rebirths."
(हिंदू धर्म दुनिया के महान धर्मों में एकमात्र ऐसा धर्म है, जो इस विचार को समर्पित है कि ब्रह्मांड खुद भी अनगिनत बार जन्म और मृत्यु से गुजरता है। यह विचार हिंदू दर्शन में बहुत गहराई से जुड़ा हुआ है।)
> "It is the only religion in which the time scales correspond, to those of modern scientific cosmology."
(यह एकमात्र धर्म है जिसकी समय की अवधारणाएं आधुनिक वैज्ञानिक ब्रह्मांड विज्ञान (cosmology) से मेल खाती हैं। यानी वेदों में जिस समय की बात की गई है, वह साइंस के हिसाब से भी तार्किक है।)
कार्ल सेगन ये भी मानते थे कि वेद में ब्रह्मांड कितना पुराना है उसका सबसे accurate वर्णन मिलता है।
उनका एक quote है, जहां वो कहते है -
> “A millennium before Europeans were willing to divest themselves of the Biblical idea that the world was a few thousand years old, the Mayans were thinking of millions and the Hindus billions”
जब यूरोप में लोग आज से करीब हज़ार साल पहले तक भी यह मानने को तैयार नहीं थे कि दुनिया की उम्र कुछ हज़ार साल से ज़्यादा हो सकती है (जैसा कि बाइबिल में लिखा है), उसी समय माया सभ्यता (Maya Civilization) दुनिया की उम्र को लाखों सालों में सोच रही थी। लेकिन हिंदू धर्म तो उस समय ही ये कहता था कि ब्रह्मांड अरबों सालों (billions of years) पुराना है।
तो यहां भी सेगन, Vedic philosophy और वेदों के अंदर लिखी हुई वैज्ञानिक बातों का महिमा मंडन कर रहे हैं।
निष्कर्ष
देखिए, ये सभी वैज्ञानिक अपने-अपने समय के महानतम brains में गिने माने जाते हैं। ऐसे में उनका हमारी vedic philosophies और वेदों के अंदर लिखी knowledge को सपोर्ट करना हमारे लिए गर्व की बात है। और अभी तो मैने सिर्फ 5 scientists के बारे में बताया है, इसके अलावा Nikola tesla, Srinivasa Ramanujan, Aryabhatta — ये सब भी वेद और उसकी knowledge से काफी influenced थे।
Ramanujan, जिन्होंने mathematics me कई बड़ी important equations को discover किया, वो तो ये कहते थे कि
> "An equation for me has no meaning, unless it expresses a thought of God.”
ये सब बातें हमें सिखाती है कि विज्ञान और अध्यात्म दो अलग रास्ते नहीं हैं – बल्कि दोनों एक ही सत्य को दो अलग-अलग नजरियों से देखने की कोशिश हैं अगर दुनिया के इतने बड़े वैज्ञानिक वेदों को मानते हैं, तो हमें भी अपने ज्ञान की जड़ यानी वेदों को समझने की ज़रूरत है।
पूरा पढ़ने के लिए आपका बहुत धन्यवाद।
नमस्ते।
